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आज की डिजिटल लाइफस्टाइल में मोबाइल और कंप्यूटर हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुके हैं। ऑफिस का काम हो, ऑनलाइन क्लास या फिर दोस्तों से बातचीत—हर जगह स्क्रीन हमारे साथ रहती है। लेकिन यह सुविधा धीरे-धीरे हमारे स्वास्थ्य पर भारी पड़ रही है। खासकर गैजेट्स से निकलने वाली नीली रोशनी (ब्लू लाइट) हमारी आंखों, दिमाग और त्वचा पर गहरा असर डाल रही है।

कई शोध बताते हैं कि लंबे समय तक स्क्रीन पर नज़रें गड़ाए रखने से न सिर्फ नींद खराब होती है, बल्कि यह समय से पहले बुढ़ापा (Premature Ageing) भी ला सकती है। लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से थकान, हार्मोनल असंतुलन, त्वचा पर झुर्रियां और यहां तक कि मानसिक तनाव जैसी समस्याएं भी बढ़ जाती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि जो लोग घंटों कमरे या ऑफिस के अंदर काम करते हैं और बाहर धूप या प्राकृतिक रोशनी से दूर रहते हैं, उनके शरीर में विटामिन-डी की कमी और मोटापे जैसी परेशानियां जल्दी सामने आती हैं। अगर इसके साथ ब्लू लाइट का असर जुड़ जाए तो स्वास्थ्य जोखिम और बढ़ जाते हैं।

अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि लगातार ब्लू लाइट के संपर्क में रहने से शरीर की जैविक घड़ी (Biological Clock) प्रभावित होती है। यह न सिर्फ नींद और ऊर्जा स्तर बिगाड़ती है, बल्कि कोशिकाओं की कार्यक्षमता भी कम करती है। पशुओं पर हुए इस रिसर्च में स्पष्ट हुआ कि ब्लू लाइट ने उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज कर दिया और मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाया।

नींद पर असर, मोटापे का खतरा और त्वचा की चमक खोना—ये सब ब्लू लाइट की वजह से होने वाले दुष्प्रभाव हैं। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि लंबे समय तक स्क्रीन से निकलने वाली यह रोशनी त्वचा पर झुर्रियां, दाग-धब्बे और समय से पहले बुढ़ापा लाने में अहम भूमिका निभाती है।

अगर आप भी दिनभर मोबाइल और लैपटॉप में डूबे रहते हैं, तो अब वक्त आ गया है कि सावधान हो जाएं और स्क्रीन टाइम को कम करें। प्राकृतिक रोशनी और बाहर की ताज़ी हवा आपके स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए बेहद जरूरी है।

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