Tue. Aug 5th, 2025

हरिद्वार से सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की दूरदर्शी पहल और सक्रिय प्रयासों का सकारात्मक परिणाम सामने आया है। सीमावर्ती क्षेत्र की बहुप्रतीक्षित इकबालपुर-नागल सिंचाई परियोजना और लिब्बरहेड़ी पुल के पुनर्निर्माण को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से लखनऊ में हुई भेंटवार्ता निर्णायक सिद्ध हुई।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीमावर्ती किसानों, ग्रामीणों और युवाओं की वर्षों पुरानी मांग को मुखरता से रखा, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने परियोजना को भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आश्वासन दिया। हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की पहल पर शुरू हुई यह नई पहल निश्चित ही सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए एक स्थायी विकास मॉडल बन सकती है। यह कदम साबित करता है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति और जनभावनाएं मिलती हैं, तो बदलाव सिर्फ संभव नहीं, बल्कि सुनिश्चित होता है।

बदलेगा पांच लाख से अधिक लोगों का भविष्य
इकबालपुर-नागल सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे गांवों में जल संकट का समाधान होगा। यह परियोजना करीब 5 लाख जनसंख्या को सिंचाई, कृषि उत्पादन, और पेयजल के क्षेत्र में सीधा लाभ देगी। सीमांत किसान अब सूखे खेतों के बजाय हरियाली और समृद्धि की ओर बढ़ सकेंगे।

लिब्बरहेड़ी पुल के पुनर्निर्माण को मिली हरी झंडी
इस बैठक में सांसद रावत द्वारा लिब्बरहेड़ी पुल के पुनर्निर्माण का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। पुल वर्षों से खस्ताहाल है, जो न केवल ग्रामीणों की आवाजाही को प्रभावित करता है, बल्कि स्थानीय व्यापार और शिक्षा को भी बाधित करता है। इस पर योगी सरकार ने इसे उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग को सौंपने का आश्वासन दिया है।

सीमाएं नहीं रुकावट — अब सहयोग का सेतु
सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बैठक के बाद कहा कि यह सिर्फ दो राज्यों की योजनाएं नहीं, बल्कि लाखों सीमावर्ती लोगों की उम्मीदों और हक की बहाली है। “हमारा प्रयास है कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच विकास, समन्वय और संवेदना का नया अध्याय लिखा जाए,” उन्होंने कहा।

स्थानीय जनभावनाओं को मिला सम्मान
इस निर्णय से सीमावर्ती गांवों में खुशी की लहर दौड़ गई है। किसानों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत के प्रयासों की सराहना करते हुए इसे जनआशाओं की जीत बताया।

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