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सर गंगा राम अस्पताल में ली अंतिम सांस, जून से चल रहा था इलाज

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और आदिवासी समाज के मजबूत स्तंभ शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे। लंबे समय से बीमार चल रहे शिबू सोरेन का इलाज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में चल रहा था। उनके निधन की जानकारी उनके पुत्र और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर साझा की। उन्होंने लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए। आज मैं शून्य हो गया हूं।”

लंबे समय से चल रहा था इलाज
शिबू सोरेन को जून के अंतिम सप्ताह में किडनी संबंधी समस्याओं के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे पिछले कई हफ्तों से गंभीर रूप से अस्वस्थ थे। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।

एक युग का अंत: साधारण जीवन से शिखर तक
साधारण किसान परिवार से राजनीति की ऊंचाइयों तक पहुंचे शिबू सोरेन का जीवन संघर्षों और उपलब्धियों की मिसाल रहा। तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहने वाले ‘गुरुजी’ ने झारखंड को एक अलग राज्य का दर्जा दिलाने की लड़ाई में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। वे जीवनभर आदिवासी अधिकारों, गरीबों और वंचितों की आवाज बने रहे।

प्रधानमंत्री ने जताया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें ज़मीन से जुड़ा जननेता बताया। उन्होंने लिखा, “शिबू सोरेन जी का सार्वजनिक जीवन जनसेवा और आदिवासी समुदाय के सशक्तिकरण के लिए समर्पित था। उनके निधन से अत्यंत दुःख हुआ। मैंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से बात कर संवेदना व्यक्त की।”

राजनीतिक और सामाजिक चेतना के अग्रदूत
शिबू सोरेन को झारखंड में ‘गुरुजी’ के नाम से जाना जाता था। उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैनर तले आदिवासी समाज को एकजुट किया और सामाजिक जागरूकता की लहर पैदा की। उनके नेतृत्व में झारखंड ने अपनी राजनीतिक पहचान को मजबूत किया। उनके निधन से न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश की राजनीति में एक युग का समापन हो गया।

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