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भारत को जम्बू द्वीप के नाम से भी जाना जाता है और यह नाम जामुन के वजह से है।आश्चर्य की बात तो है कि किसी फल के वजह से किसी देश का नामकरण किया गया ! दरअसल जामुन के कई नाम है और उन्हीं में से एक नाम है जम्बू। भारत में जामुन की बहुतायत रही है । हमारे देश में इसकी पेड़ों की संख्या लाखों- करोड़ों में है और शायद इसी कारण से यह फल हमारे देश का पहचान बन गया।

भारतीय माइथोलॉजी के दो प्रमुख केंद्र रामायण और महाभारत में भी यह विशेष पात्र रहा है।भगवान राम ने अपने 14 वर्ष के वनवास में मुख्य रूप से जामुन का ही सेवन किया था वहीं श्री कृष्णा के शरीर के रंग को ही जामुनी कहा गया है। संस्कृत के श्लोकों में अक्सर इस नाम का उच्चारण आता है।

जामुन विशुद्ध रूप से भारतीय फल है।भारत का हर गली-मोहल्ला इसके स्वाद से परीचित हैं। जामुन एक मौसमी फल है। खाने में स्वादिष्ट होने के साथ ही इसके कई औषधीय गुण भी हैं। जामुन अम्लीय प्रकृति का फल है पर यह स्वाद में मीठा होता है। जामुन में भरपूर मात्रा में ग्लूकोज और फ्रुक्टोज पाया जाता है. जामुन में लगभग वे सभी जरूरी लवण पाए जाते हैं जिनकी शरीर को आवश्यकता होती है।

जामुन खाने के फायदे:
1. पाचन क्रिया के लिए जामुन बहुत फायदेमंद होता है. जामुन खाने से पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं दूर हो जाती हैं.

2. मधुमेह के रोगियों के लिए जामुन एक रामबाण उपाय है. जामुन के बीज सुखाकर पीस लें. इस पाउडर को खाने से मधुमेह में काफी फायदा होता है.

3. मधुमेह के अलावा इसमें कई ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो कैंसर से बचाव में कारगर होते हैं. इसके अलावा पथरी की रोकथाम में भी जामुन खाना फायदेमंद होता है. इसके बीज को बारीक पीसकर पानी या दही के साथ लेना चाहिए.

4. अगर किसी को दस्त हो रहे जामुन को सेंधा नमक के साथ खाना फायदेमंद रहता है. खूनी दस्त होने पर भी जामुन के बीज बहुत फायदेमंद साबित होते हैं.

5. दांत और मसूड़ों से जुड़ी कई समस्याओं के समाधान में जामुन विशेषतौर पर फायदेमंद होता है. इसके बीज को पीस लीजिए. इससे मंजन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं.

जामुन मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण है। यह पाचनतंत्र को तंदुरुस्त रखता हैं । साथ ही दांत और मसूड़े के लिए बेहद फायदेमंद है। जामुन में कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम होता है।आयुर्वेद में जामुन को खाने के बाद खाने की सलाह दी जाती है।

जामुन के लकड़ी का भी कोई जबाव नहीं है। एक बेहतरीन इमारती लकड़ी होने के साथ ईसके पानी मे टिके रहने की बाकमाल शक्ति है‌। अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल या हरी काई नहीं जमती सो टंकी को लम्बे समय तक साफ़ नहीं करना पड़ता | प्राचीन समय में जल स्रोतों के किनारे जामुन की बहुतायत होने की यही कारण था इसके पत्ते में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो कि पानी को हमेशा साफ रखते हैं। कुए के किनारे अक्सर जामुन के पेड़ लगाए जाते थे।

जामुन की एक खासियत है कि इसकी लकड़ी पानी में काफी समय तक सड़ता नही है। जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़े पैमाने पर होता है।
जामुन औषधीय गुणों का भण्डार होने के साथ ही किसानो के लिए भी उतना ही अधिक आमदनी देने वाला फल है ।

नदियों और नहरों के किनारे मिट्टी के क्षरण को रोकने के लिए जामुन का पेड़ काफी उपयोगी है। अभी तक व्यवसायिक तौर पर योजनाबद्ध तरीके से जामुन की खेती बहुत कम देखने को मिलती हैं। देश के अधिकांश हिस्से में अनियोजित तरीके से ही किसान इसकी खेती करते हैं। अधिकतर किसान जामुन के लाभदायक फल और बाजार के बारे में बहुत कम जानकारी रखते हैं, शायद इसी कारणवश वो जामुन की व्यवसायिक खेती से दूर हैं।जबकि सच्चाई यह है कि जामुन के फलों को अधिकतर लोग पसंद करते हैं और इसके फल को अच्छी कीमत में बेचा जाता है।

जामुन की खेती में लाभ की असीमित संभावनाएं हैं।इसका प्रयोग दवाओं को तैयार करने में किया जाता है, साथ ही जामुन से जेली, मुरब्बा जैसी खाद्य सामग्री तैयार की जाती है।

सबसे खास बात कि जामुन हम भारतीयों की पहचान रही है अतः इस वृक्ष के संरक्षण और संवर्धन में हम सभी को अपना योगदान देना चाहिए।
Dr. (Vaid) Deepak Kumar
Adarsh Ayurvedic Pharmacy
Kankhal Hardwar aapdeepak.hdr@gmail.com
9897902760

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