Sun. Sep 8th, 2024

हरिद्वार (ब्यूरो,TUN ) देश और राज्य में हर जगह अधिकतर वन गुर्जरों की संख्या बढ़ती जा रही है उत्तराखंड वन क्षेत्र होने के नाते यहां पर वन गुर्जरों की संख्या ज्यादा है बात करें हरिद्वार की तो यहां पर पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण वन गुर्जरों की आबादी हरिद्वार के अधिकतर जगहों में मिल जाएगी


वन गुर्जरों की जिंदगी

सवाल यह उठता है वनों में रहने वाली आबादी बहुत सारी सुविधाओं से वंचित रह जाती है पर जिस तरीके से कई संस्थाएं इनकी मदद के लिए आगे आ रही है वह काबिले तारीफ है क्योंकि वन गुर्जर वनों में मौसम के अनुसार अपने घरों को बनाते हैं जब बरसात का मौसम आता है उसमें उनकी मिट्टी के जो घर होते हैं वह टूट जाते हैं जिसके कारण उनको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है

टर्फ और मुथूट ग्रुप ने किया सराहनीय कार्य
आपको बता देंगे टर्फ और मुथूट ग्रुप के सहयोग से वन गुर्जरों के लिए पक्के मकान का निर्माण करा कर उनको समर्पित किए गए हैं जिससे वन गुर्जरों में ज्यादातर महिलाओं को इसका काफी लाभ मिला है
वहीं मुथूट ग्रुप के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि हमने उत्तराखंड के क्षेत्र में बस रहे वन गुर्जरों के लिए 55 लाख 50 हजार रुपए की लागत से 10 घर बनवाए हैं जो कि स्वच्छ और हवादार है इसके अलावा भी हमने अनेक राज्यों में 245 घरों का निर्माण करा चुके हैं जिससे कि अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को इसका फायदा मिल सके मुकुट ग्रुप हमेशा ही जनहित में कार्य करता आया है और आगे भी कार्यकर्ता रहेगा


टर्फ के निदेशक अर्जुन कसाना ने कहा

वही टर्फ के निदेशक अर्जुन कसाना ने कहा कि हमारी संस्था और मुथूट ग्रुप के द्वारा आज वन गुर्जरों को 10 मकान बनाए गए हैं जिनको आज हमने गुर्जरों को सौंप दिए हैं जिससे कि वह अब इन मिट्टी के मकानों में ना रह कर के पक्के मकानों में रहकर अपनी जिंदगी को और अच्छा कर सकें इसके अलावा भी हमारी सरकार से बातचीत हो रही है और उनकी जमीन देने के बाद हम हाउस कंपलेक्स बनाने की उत्तराखंड में सोच रहे हैं

गुज्जर बस्ती में खुशी का माहौल

वही गुर्जर बस्ती में रह रही आमना खातून जिनको 10 मकानों में से एक मकान मिला है उन्होंने कहा कि हम इन संस्थाओं का धन्यवाद करते हैं जिन्होंने हमारी जिंदगी को और बेहतर करने में काम किया है हम महिलाओं के लिए अब आने वाला समय और आसान हो जाएगा क्योंकि जिस तरीके से हम बरसात का मौसम आने से पहले ही घबरा जाया करते थे और अपने घरों को अनेक तरीके से सुरक्षित रखने के उपाय करते थे क्योंकि हमारे घर मिट्टी के थे इन मिट्टी के घर बरसात में ढह जाने का का खतरा हमेशा बना रहता था अब हमारी जिंदगी में यह पक्के मकान आने से सुलभ हो गई है जिसने हमें दोबारा इन संस्थाओं का धन्यवाद करते हैं

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