उत्तराखन्ड के कदावर नेता अभी तक अजेय विजेता और प्रदेश भर में सबसे ज्यादा भारी वोटों का अंतर लेकर जीत दर्ज करने वाले भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन कौशिक के लिए 2022 का चुनाव चाहे कई प्रकार की अग्नि परीक्षाओं से गुजरने की भविष्यवाणी राजनीतिक महागुरुओं से करा रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि अपने दम खम व राजनीतिक रण कौशल पर मदन कौशिक हरिद्वार से चार बार से लगातार विधायक है। यही नही हरिद्वार जिलाध्यक्ष से प्रदेशाध्यक्ष तक के सफर में तीन बार केबिनेट मंत्री रहे मदन कौशिक का प्रदेश की राजनीति में बड़ा कद रहा है। हालांकि यह माना जा रहा था कि राष्ट्रीय भाजपा ने मदन कौशिक को प्रदेश के अध्यक्ष के रूप में स्थापित करके उसका टिकट काटने का मन बना लिया था लेकिन बार-बार देखने पर तथा मंथन करने पर अंततः केंद्रीय भाजपा को मानना पड़ा कि यदि कोई हरिद्वार की सीट को बचा सकता है तो वह केवल मदन कौशिक ही है इतना ही नहीं अब तो यह भी विचार किया जाने जाना जरूरी है की यदि इस बार मदन कौशिक पूरे प्रदेश में रिकॉर्ड वोटों से जीत दर्ज करते हैं तो उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए और इसके लिए अभी से ही आवाज उठनी शुरू हो गई है हालांकि यह एक मुश्किल कार्य है क्योंकि उत्तराखंड एक पहाड़ी प्रदेश है और यहां के नेता तथा मतदाता कभी नहीं चाहेंगे कि कोई देसी व्यक्ति उनका मुख्यमंत्री बने हालांकि इसमें कोई शक नहीं कि यदि यह बात पूरी हो जाती है तो मदन कौशिक प्रदेश को एक नई राह वह उज्जवल भविष्य की ओर ले जा सकते हैं
चुनावी रणनीति में माहिर मदन कौशिक का चुनावी मैनेजमेंट अन्य क्षेत्रों के विधायकों के लिए मिसाल है। मदन के अब इसी चुनावी मैनेजमेंट का प्रयोग प्रदेश की 70 विधानसभाओ में होना है। प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते मदन कौशिक पर पार्टी को पुनः सत्ता में लाने का दबाव है। 60 पार के नारे को पूर्ण करने के लिए प्रदेशाध्यक्ष चुनाव में जी जान लगा रहे हैं एक तरह से यह उनकी अग्नि परीक्षा भी है क्योंकि पूरे प्रदेश में भाजपा प्रत्याशियों को जीत दिलाने के साथ-साथ अपनी जीत भी रिकार्ड मतों से जीतना एक बड़ी चुनौती रहेगी एक मैदानी क्षेत्र के नेता पर संगठन की प्रमुख जिम्मेदारी भी कई बार चर्चा का विषय रही। प्रदेश की विषम भूगौलिक परिस्थितियों में प्रदेशाध्यक्ष किस प्रकार अपने प्रत्याशियों के लिए जीत की राह बनाते है यह बड़ी चुनौती होगी। तो वहीं हरिद्वार जिले में पिछली बढ़त बनाये रखना दूसरी चुनौती है। राजनैतिक चर्चाओं के अनुसार जिले के अन्य विधायकों से मदन का ताल मेल कोई बहुत अच्छा नही है। हरिद्वार ग्रामीण के विधायक व केबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद, लक्सर विधायक संजय गुप्ता, ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर,रानीपुर भेल विधायक आदेश चौहान को मदन विरोधी गुट का बताया जाता है। जबकि कांग्रेस गोत्र के खानपुर विधायक कुँवर प्रणव चैम्पियन व रुड़की के प्रदीप बत्रा का भी मदन खेमे से कोई ताल्लुक प्रत्यक्ष रूप में नही रहा। चर्चा तो यहां तक थी कि संगठन व सरकार में जिले से अपना रसूक कायम रखने के लिए मदन ने सभी प्रयत्न किए हुए है। राजनैतिक गलियारों में हरिद्वार ग्रामीण से स्वामी के खिलाफ आप के नरेश शर्मा भी काफी चर्चाओं में है। ज्वालापुर, रानीपुर,लक्सर,खानपुर व रुड़की में भी भाजपा के असंतुष्ट गणित बिगड़ सकते है। यदि असन्तुष्ठो को मनाने में प्रदेश नेतृत्व कामयाब नहीं हो पाया तो इसका नुकसान सीधे पार्टी प्रत्याशी को होगा। इसलिए मदन कौशिक को इन सीटों पर भी विशेष ध्यान देते हुए इन्हें हर हाल में जितवाने का संकल्प करना होगा। तो वही उनकी अपनी सीट पर इस बार कांग्रेस के सबसे सशक्त उम्मीदवार सतपाल ब्रह्मचारी को।मैदान में उतार कर मुकाबला रोचक बना दिया है। यदि मदन ने अपनी सीट को ढीला छोड़ा तो यह भी फिसल सकती है और यदि सिर्फ अपनी ही सीट पर ध्यान दिया तो जिले व प्रदेश में पार्टी की साख बरकरार कैसे रख पायेगेंगे। इसलिए माना जा रहा है कि मदन कौशिक के सामने एक नही अनेक चुनौतियां है, उन्हें इन सबका सामना करना होगा। तभी उनका राजनीतिक कौशल माना जायेगा।